NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 2 बस की यात्रा

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NCERT Solutions for Class 8 Hindi Chapter 2 बस की यात्रा

NCERT Solutions for Class 8 Hindi Chapter 2 बस की यात्रा

Class 8 Hindi Chapter 2 बस की यात्रा

उत्तर– लेखक के मन में बस कंपनी के हिस्सेदार साहब के लिए श्रद्धा इसलिए जाग गई कि वह टायर की स्थिति से परिचित होने के बावजूद भी बस को चलाने का साहस जुटा रहा था। कंपनी का हिस्सेदार अपनी पुरानी बस की खूब तारीफ़ कर रहा था। अर्थ मोह की वजह से आत्म बलिदान की ऐसी भावना दुर्लभ थी जिसे देखकर लेखक हतप्रभ हो गया और उसके प्रति उनके मन में श्रद्धा भाव उमड़ता है।

उत्तर– स्थानीय लोगों के अनुसार वे बस को डाकिन मानते थे वह खटारा बस कभी भी कहीं भी खड़ी हो सकती थी। इसलिए उन्होने लेखक को उस बस से सफर न करने की सलाह दी।

उत्तर– जब बस चालक ने इंजन स्टार्ट किया तब सारी बस झनझनाने लगी। लेखक को ऐसा प्रतीत हुआ कि पूरी बस ही इंजन है। मानो वह बस के भीतर न बैठकर इंजन के भीतर बैठा हुआ हो। अर्थात् इंजन के स्टार्ट होने पर इंजन के पुर्जो की भांति बस के यात्री हिल रहे थे।

उत्तर– बस की जर्जर अवस्था से लेखक को ऐसा महसूस हो रहा था कि बस की स्टीयरिंग कहीं भी टूट सकती है तथा ब्रेक फेल हो सकता है। ऐसे में लेखक को डर लग रहा था कि कहीं उसकी बस किसी पेड़ से टकरा न जाए। एक पेड़ निकल जाने पर वह दूसरे पेड़ का इंतज़ार करता था कि बस कहीं इस पेड़ से न टकरा जाए। यही वजह है कि लेखक को हर पेड़ अपना दुश्मन लग रहा था।

उत्तर– ‘सविनय अवज्ञा आंदोलन’ महात्मा गांधी के नेतृत्व में हुआ था। इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश सत्ताधीशों के खिलाफ अवज्ञा और असहमति का व्यक्त करना था। इसका प्रारंभ 1930 में गांधीजी द्वारा हुआ था, जो अंततः 12 अप्रैल 1930 को नमक सत्याग्रह के रूप में परिणित हो गया।

उत्तर– सविनय अवज्ञा का उपयोग लेखक ने बस की जीर्ण-शीर्ण तथा खटारा दशा होने के बावजूद उसके चलने या चलाए जाने के संदर्भ में किया हैयह आंदोलन 1930 में अंग्रेजी सरकार की आज्ञा न मानने के लिए किया गया था12 मार्च 1930 को डांडी मार्च करके नमक कानून तोड़ा गयाअंग्रेजों की दमनपूर्ण नीति के खिलाफ भारतीय जनता विनयपूर्वक संघर्ष के लिए आगे बढ़ती रही, यह खटारा बस भी जर्जर होने के बावजूद चलती जा रही थी I

उत्तर– यात्रा करना हमेशा से मेरी रुचि रही है,और इस बार की यात्रा ने मुझे कई रंग-बिरंगे अनुभवों से सुनहरा अवसर प्रदान किया।

पहले दिन का सवेरा, सुनहरे सूरज की किरणों के साथ, हमने अपनी यात्रा की शुरुआत की। एक छोटे से गाँव की तरह स्थित गाड़ी से हमने अपना सफर आरंभ किया। सड़कों के गलियारों में चलते हुए, हर मोड़ पर एक नई कहानी का आगाज़ होता था। अनेक मनोरंजनीय और सीखने लायक अनुभवों के बाद, हम अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहे।
मेरे लिए यह यात्रा न केवल रोमांचक थी, बल्कि यह मेरी साहसिकता की परीक्षा भी थी। एक मुश्किल स्थिति में, हमें गड्ढे में फंसे होते हुए उसे पार करना पड़ा। लेकिन इस चुनौती को सामने करते हुए, हमने एक-दूसरे के साथ मिलकर काम किया और उसे पार किया। वह अनुभव मेरे जीवन में नई ऊर्जा और साहस का स्रोत बना।

यात्रा के दौरान, हमने अनेक अद्भुत स्थानों का भ्रमण किया और उनके सौंदर्य का आनंद लिया। एक शांत झील के किनारे, सुबह की ठंडक में चाय का मजा, और खूबसूरत प्राकृतिक दृश्यों का आनंद – ये सभी अनुभव मुझे यादगार बने।

उत्तर– यदि बस जीवित प्राणी होती और बोल सकती, तो वह अपनी बुरी हालत और भारी बोझ के कष्ट को निम्नलिखित शब्दों में व्यक्त करती:

“हे इंसानों, कृपया मेरी अवस्था को समझो और मेरी मदद करो। मेरा संघर्ष अजीब है, मेरी हालत बहुत खराब है। मैं तकलीफ में हूं, मेरे पास और जगह नहीं है। कृपया मुझे ढोलो और मुझे आराम करने दो।मैं एक पुरानी तथा जीर्ण-शीर्ण बस हूँआज से करीब तीस साल पहले मैं भी नई-नवेली, जवान तथा सुंदर थीमेरा ड्राइवर मुझे फूल- मालाओं से सजाता।मेरी सीट पर बैठने से पहले वह मेरे पैर छूता जरा भी गंदगी अंदर-बाहर दिख जाने पर कंडक्टर को डाँटता I

पर आज लगता है कि यह सब सपने की बातें हैं आज मैं वृद्धा अवस्था में पहुँच गई हूँ तब से अब तक कई ड्राइवर तथा कंडक्टर बदल गए हैं I इस समय जो ड्राइवर है, वह मेरा ध्यान नहीं रखता हैमेरी साफ-सफाई किए बिना ही मुझ पर सवार हो जाता हैशाम को मेरी सीटों पर बैठकर भोजन करता है और मुझे गंदा करके छोड़ जाता है I विश्वकर्मा पूजा के दिन के अलावा अब कभी मेरे ऊपर फूल माला नहीं चढ़ाई जाती हैमेरा चलने को मन नहीं होता है पर यह धक्के दे-देकर मुझे जबरदस्ती चलवाता हैI सवारियाँ इतनी लाद लेता है कि मेरा अंग-अंग टूटने लगता है और लगता है कि अब दम निकल ही जाएमेरी आँखें खराब हो चुकी हैं तथा हाथ-पैर जवाब दे रहे हैं, पर मेरा ड्राइवर इन बातों से अनभिज्ञ है क्योंकि उसे पैसे कमाना है”

उत्तर– बस शब्द से बनने वाले वाक्य:

-अब बस करो, नहीं तो हमे देर हो जाएगी।
-बस करो, कितना खाओगे?

वश शब्द से बनने वाले वाक्य:

-मेरे वश में नहीं है कि मैं रात को बाहर जाऊं।
-उसके वश में था कि वह अपने सपनों को पूरा करे।

उत्तर– कहानी में ने, की, से कारकों के प्रयोग वाले वाक्य:

(क) हम पाँच मित्रें ने तय किया कि शाम चार बजे की बस से चलें।
(ख) यह बस पूजा के योग्य थी।
(ग) ड्राइवर ने बाल्टी में पेट्रोल निकालकर उसे बगल में रखा और नली डालकर इंजन में भेजने लगा।
(घ) ड्राइवर ने तरह-तरह की तरकीबें कीं पर वह चली नहीं।

कहानी में वाक्यों को जोड़ने वाले योजक शब्द के प्रयोग वाले वाक्य:

(क) जो भी पेड़ आता, डर लगता कि इससे बस टकराएगी।
(ख) कभी लगता कि सीट को छोड़कर बॉडी आगे भागी जा रही है।
(ग) हमें ग्लानि हो रही थी कि बेचारी पर लदकर हम चले आ रहे हैं।
(घ) एक पुलिया के ऊपर पहुँचे ही थे कि एक टायर फिस्स करके बैठ गया।

उत्तर

  • वह उछलकर पत्थरों के बीच दौड़ी।
  • बच्चे उत्साह से कूदते हुए खुद को खेलने में खो देते हैं।
  • पक्षियों की छहाया में वे उड़ते हुए दिखाई दे रहे थे।
  • समुद्र के किनारे लहरों के साथ वे दौड़ रहे थे।
  • जो भी पेड़ आता, डर लगता कि इससे बस टकराएगी।

(क) – जल बहुत गहरा हो गया था, जिसके कारण बच्चे खेलने के लिए नहीं जा सकते थे। (यहाँ ‘जल’ का अर्थ है पानी)
– सूरज की किरणों से जल के अंदर बच्चों ने खेला। (यहाँ ‘जल’ का अर्थ है तरल पदार्थ)

(ख)- उसने मैच हार दी और अपने दोस्तों को बधाई दी। (यहाँ ‘हार’ का अर्थ है मैच को हारना)
– मेरी माँ ने सुंदर हार पहन कर अपनी सहेलियों की शादी में शामिल हो गई। (यहाँ ‘हार’ का अर्थ है गहना)

उत्तर
संख्यावाचक विशेषण वाले वाक्य:
(क) तीन लोग स्कूल जा रहे हैं।
(ख) पाँच घंटे ट्रेन में बैठे रहे।

गुणवाचक विशेषण वाले वाक्य:
(क) वह एक बहुत ही समझदार लड़का है।
(ख) सुन्दर फूलों की खुशबू हर तरफ़ फैल गई थी I

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