NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 12 पानी की कहानी

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NCERT Solutions for Class 8 Hindi Chapter 12 पानी की कहानी

NCERT Solutions for Class 8 Hindi Chapter 12 पानी की कहानी

Class 8 Hindi Chapter 12 पानी की कहानी

पाठ से

उत्तर- जब लेखक बेर की झाड़ी के नीचे से गुजर रहे थे, तो अचानक उनके हाथ पर एक मोती-सी बूँद गिरी। उन्हें इस अनोखी घटना का आश्चर्य हुआ, और बूँद उनकी कलाई से सरक कर हथेली पर आ गई।

उत्तर- बूंद जब पेड़ पर से पृथ्वी पर गिरी तो उसका सारा शरीर क्रोध और घृणा से कांप गया उसे पौधे की जड़ ने अपने में समा लिया और उससे अपना पोषण किया उसकी इस क्रिया में बूंद का अस्तित्व ही समाप्त हो गया।

उत्तर- जब ब्रह्मांड में पृथ्वी और उसके साथी ग्रहों का उद्भव नहीं हुआ था, तो सूर्यमंडल में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन दो गैसें लपटों के रूप में मौजूद थीं। यहां, ऑक्सीजन और हाइड्रोजन के बीच रासायनिक प्रक्रिया हुई और इन दोनों गैसों के मेल से पानी का निर्माण हुआ। इसीलिए पानी ने हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को अपना पूर्वज कहा है।

उत्तर- पानी का जन्म:
किसी अत्यंत पुराने समय में, सूर्यमंडल में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन गैसें तेज लपटों के रूप में मौजूद थीं। एक विशाल ग्रह की आकर्षण शक्ति के कारण, उसका कुछ अंश टूटकर अलग हो गया और ठंडा हो गया। इसी तरह, ऑक्सीजन और हाइड्रोजन की क्रिया के परिणामस्वरूप पानी का उत्पन्न हो गया।

पानी की जीवन-यात्रा:

पानी पहले वायुमंडल में जलवाष्प के रूप में मौजूद था। अन्य वाष्पदल के साथ मिलने से वाष्प भारी और ठंडा हो गया, जिससे वह वर्षा के रूप में नीचे आई। बूंदें पहाड़ की चोटियों पर बर्फ के रूप में जम गईं। सूर्य की तेज किरणों ने उन्हें पिघलाया, और कुछ हिमखंड भी टूटकर इस पानी के साथ सरिता में आया। सरिता से, यह पानी समुद्र में पहुँचाया गया। वहां से, यह पानी समुद्र की गहराई में चला गया।

वहां पर ज्वालामुखी के विस्फोट के साथ ही वाष्प रूप में बाहर आ गया। यह पानी फिर वर्षा के रूप में नदियों में आया, और नलों में जाकर एक टूटे हिस्से से जमीन पर टपक गया। फिर, यह पानी पृथ्वी द्वारा सोख लिया गया, पेड़ों की जड़ ने अवशोषित किया, और पत्तियों के माध्यम से वाष्प रूप में वायुमंडल में छोड़ दिया।

उत्तर- कहानी के अंत और आरंभ के हिस्से को पढ़कर यह पता चलता है कि ओस की बूँद सूर्य उदय की प्रतीक्षा कर रही थी।

पाठ से आगे

उत्तर- धरती पर से जल का वाष्प के रूप में बदलना उसके बाद पानी बनकर बरसना फिर नदियों से होकर समुद्र में मिल जाना फिर भाप बनकर उड़ जाना यही जलचक्र कहलाता है। पानी हमारे आसपास विभिन्न स्थानों जैसे नदियों, समुद्रों, झीलों, कुओं, तालाबों आदि में पाया जाता है। यह पानी सूर्य की गरमी से वाष्पित होकर भाप बन जाता है। यह भाप ठंडे होकर वर्षा के रूप में पुनः पृथ्वी पर लौट आता है। इस चक्र को हम निरंतर चलते हुए देखते हैं। लेखक ने विस्तार से पानी के बनने और उसके हर क्षण बदलने की प्रक्रिया को बड़े ही सुन्दर ठंग से पाठ में प्रस्तुत किया है।

-हाइड्रोजन और ऑक्सीजन से पानी बनने की प्रक्रिया में, पानी पहले पहाड़ों पर बर्फ के रूप में जम जाता है, हिमखंड टूट जाता है, और ऊष्मा के प्रभाव से पिघलकर पानी बन जाता है।
-फिर, इस पानी की बूंद सागर की गहराई में जाती है और वहां से विभिन्न समुद्री जीवों को देखती है।
-आखिरकार, यह पानी ज्वालामुखी के विस्फोट के रूप में बाहर आता है।

उत्तर- मैं एक पुरानी किताब हूँ, जिसे कई वर्षों से बंद रखा गया था। मेरी कहानी इससे भी पुरानी है, जब मैंने अपनी पन्नों पर पहली बार अक्षरों की बहार बिखेरी थी।
मेरा जन्म एक छोटे से प्रकाशालय में हुआ था, जहां कुछ सालों तक मैंने अपनी कहानी के शब्दों को सजाया और बुना। मेरे पन्नों पर छपी हर कथा, हर गीत, हर रोमांच, समय के साथ अपना अलग महत्वीपूर्ण स्थान बनाया।

लेकिन धीरे-धीरे, समय की धूल मुझ पर पड़ने लगी। मेरे पन्नों की कई किताबें बिना पढ़े ही रह गईं, और मेरी परिचय के कई अनजान संस्करण आज भी किसी को नजर नहीं आते।
लेकिन फिर भी, मेरी श्रेणी की कुछ पुस्तकें आज भी प्रतिष्ठित हैं। कुछ विद्वानों ने मुझे पुनर्जीवित किया है, और मेरी प्रतिलिपियों को पुनः प्रकाशित किया गया है। मेरी कहानी की रेखाएँ अब भी समृद्ध हैं, और मेरे शब्द आज भी किसी के दिलों में गहरी छाप छोड़ते हैं।

मेरी आत्मकथा वह धरोहर है जो समय के साथ महत्वपूर्ण होती जा रही है। मैं वह संदेश हूँ जो कहता है कि किताबों की कहानियों का जीवन में हमें निरंतर प्रेरित करता रहना चाहिए, चाहे वो कितनी ही पुरानी क्यों न हों।

उत्तर- समुद्र के तक पर बसे नगरों में अधिक ठंड और अधिक गर्मी इसलिए नहीं पड़ती क्योंकि वहां पर नमी ज्यादा होती है जिससे मौसम में संतुलन बना रहता है। इसलिए अधिक ठंड और अधिक गर्मी नहीं पड़ती।

उत्तर- पेड़ के भीतर फव्वारा नहीं होता, फिर भी पेड़ की जड़ें पानी को पत्तियों तक पहुंचाने का काम करती हैं। यह प्रक्रिया ‘उत्तेजन तरंग’ या ‘कैपिलरी एक्शन’ कहलाती है। इस प्रक्रिया को वनस्पति शास्त्र में जल उत्तेजन के रूप में जाना जाता है। इस को समझने के लिए, एक आसान प्रयोग है: एक टिस्यू के एक कोने को पानी में डुबोकर रखें, और आप देखेंगे कि पानी कैसे ऊपरी भागों में चला जाता है।

अनुमान और कल्पना

उत्तर- प्लास्टिक की यात्रा कई प्रमुख चरणों में विभाजित होती है। पहले चरण में, पेट्रोलियम से प्राप्त राख को उच्च तापमान और दबाव के तहत प्रोसेस किया जाता है, जिससे प्लास्टिक उत्पन्न होता है। उत्पन्न प्लास्टिक को फिर विभिन्न आकारों में बनाया जाता है, जैसे की बोतलें, कंटेनर, थैले, खिलौने, इत्यादि। इन उत्पादों को विभिन्न व्यापारिक स्थलों पर भेजा जाता है, जहाँ से उपभोक्ताओं तक पहुंचाया जाता है।

उपभोक्ता प्लास्टिक उत्पादों का उपयोग करते हैं, जिसके बाद उन्हें आवश्यकता के अनुसार फिर से संग्रहित किया जाता है। अंतिम चरण में, प्लास्टिक के उपयोग होते हैं, जिन्हें पुनः बनाया जाता है, जैसे की प्लास्टिक रीसाइक्लिंग के माध्यम से। इस प्रकार, प्लास्टिक की यात्रा में कई प्रमुख चरण होते हैं जो हमारे रोजमर्रा के उपयोग में समाहित होते हैं।

उत्तर- जल की तीन अवस्थाएँ हैं: ठोस, तरल, और गैसीय।
जल की तरल अवस्था की अपेक्षा ठोस अवस्था (बर्फ) हल्की होती है। इसका कारण यह होता है कि पानी के घनत्व की अपेक्षा बर्फ का घनत्व कम होता है। इसीलिए वह पानी पर तैरती रहती है।

पर्यावरण संकट

पर्यावरण संकट एक गंभीर मुद्दा है जो हमारे समुदाय और पृथ्वी के भविष्य को प्रभावित कर रहा है। यह विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन, वन्य जीवन की खतरनाकता, और जल प्रदूषण के कारणों से हो रहा है। पर्यावरण संकट का सामना करने के लिए हमें समुदाय के साथ मिलकर काम करना होगा।

प्रदूषण एक मुख्य संकट है जो हमारे पर्यावरण को अत्यधिक प्रभावित कर रहा है। वायु, जल, और धरती परिसंचरण में प्रदूषण की बढ़ती स्तर स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए खतरा बना रहता है। इससे हमारे जलवायु के परिवर्तन को तेजी से बढ़ावा मिल रहा है, जिससे आंतरिक और बाह्य प्रकृति पर बुरा असर पड़ रहा है।

वन्य जीवन की संरक्षण का भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, क्योंकि वन्य जीवन हमारे पर्यावरण का अभिन्न हिस्सा है और उसके अभाव में पर्यावरण संतुलन पर असर पड़ता है। वन्य जीवन की खतरनाकता के कारण उनके संरक्षण और संरक्षण की जरूरत है।

इस संकट का समाधान करने के लिए हमें आपसी सहयोग, प्रदूषण कंट्रोल, पारिस्थितिकी संरक्षण, वन्य जीवन की संरक्षण, और जल संरक्षण में सक्रिय भूमिका निभानी होगी। हमें अपनी आदतों को पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रयास करना होगा और साथ ही प्राकृतिक संसाधनों का सही तरीके से उपयोग करना होगा। इसके लिए हमें अपने समुदाय के साथ मिलकर काम करना होगा और पर्यावरण संरक्षण में उत्साह और सहयोग दिखाना होगा।

भाषा की बात

उत्तर-
1.बदलू लाख से चूड़ियाँ बनाता है।
लाख से – करण कारक

2. हम बड़ी तेजी से बाहर फेंक दिए गए।
तेज़ी से – अपादान कारक

3. वह चाकू से फल काटकर खाता है।
चाकू से – करण कारक

4. मैं प्रति क्षण उसमें से निकल भागने की चेष्टा में लगी रहती थी।
मैं – कर्ता

5. आगे एक और बूँद मेरा हाथ पकड़कर ऊपर खींच रही थी।
पकड़कर – सबंध कारक

छात्र इसी प्रकार अन्य वायों का विश्लेषण कर सकते हैं।

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