NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 9 जहाँ पहिया है

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NCERT Solutions for Class 8 Hindi Chapter 9 जहाँ पहिया है

Class 8 Hindi Chapter 9 जहाँ पहिया है

ज़ंजीरें

जंजीरों के द्वारा लेखक समाज की उस व्यवस्था की ओर इशारा कर रहा है, जिसमें स्त्रियों के प्रति उदासीनता और रूढ़ियां हैं जिनके कारण स्त्री को समाज में किसी प्रकार का कोई स्वतंत्रता नहीं है।

हाँ, हम लेखक की इस बात से पूरी तरह सहमत हैं कि स्त्रियों को केवल घर की चारदीवारी के अन्दर बाध्य नहीं किया जाना चाहिए। उन्हें समाज में समानता का अधिकार होना चाहिए और उन्हें अपने जीवन के निर्णयों को स्वतंत्रता से लेने का मौका मिलना चाहिए। उन्हें अपनी सोच और कार्रवाई में स्वतंत्रता का अधिकार होना चाहिए, जो समाज में उनके योगदान को महत्वपूर्ण बनाता है।

पहिया

  • महिलाओं में जागरूकता फैली।
  • स्वयं के लिए आत्मसम्मान की भावना पैदा हुई।
  • कृषि उत्पादों को समीपवर्ती गाँवों में बेचकर उनकी आर्थिक स्थिति सुधरी व आत्मनिर्भर हो गई।
  • अपने अधिकारों के प्रति उनकी उत्सुकता बढ़ी।
  • पुरुषों के प्रति उनकी निर्भरता में कमी आई।
  • आजादी की नई भावना की उत्पत्ति हुई।

साइकिल आंदालन से पुरुषों के द्वारा बनाई गई रुढ़िवादी परंपरा का टूटना स्वाभाविक था इसलिए उन्होंने आंदोलन का विरोध किया। आर साइकिल्स के मालिक लेडीज़ साइकिल के डीलर थे। आंदोलन से उनको ही फायदा होने वाला था इसलिए उन्होंने आंदोलन का समर्थन किया।

फातिमा ने जब यह आंदोलन आरंभ किया, तो उसे कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उसे लोगों की अशोभनीय टिप्पणियों का सामना करना पड़ा। फातिमा एक मुस्लिम परिवार से थी, जो काफी रूढ़िवादी था। उन्होंने इस उत्साह को तोड़ने का प्रयास किया। पुरुषों ने भी इसका कठोर विरोध किया। दूसरी कठिनाई यह थी कि लेडीज साइकिलें पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं थीं।

शीर्षक की बात

तमिलनाडु के रूढ़िवादी पुडुकोट्टई गाँव में महिलाएं पुरुषों के खिलाफ उतरकर ‘साइकिल’ को अपनी जागरूकता के लिए चुनना बहुत बड़ा कदम था। पहियों को गतिशीलता का प्रतीक माना जाता है, और इस साइकिल आंदोलन से महिलाओं का जीवन भी गतिशील हो गया। लेखक ने इस पाठ का नाम ‘जहाँ पहिया है’ तमिलनाडु के पुडुकोट्टई गाँव के ‘साइकिल आंदोलन’ के कारण ही रखा होगा।

मेरे विचार से इस पाठ का अन्य शीर्षक “स्वतंत्रता के पहिए” या “साइकिल की धुन: महिलाओं की आज़ादी की ओर” हो सकता है जो एक साइकिल आंदोलन के रूप में शुरू हुआ और समाज में बदलाव की नींव रख दी।

समझने की बात

ग्रामीण महिलाओं के लिए साइकिल चलाना एक महत्वपूर्ण कौशल है जो उन्हें अनेक समस्याओं का सामना करने में मदद करता है। पहले, साइकिल से संचार के साधन की व्यवस्था मिलती है, जिससे किसानी या दूरस्थ स्थानों तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा, साइकिल उन्हें स्वतंत्रता और स्वावलंबन का अनुभव कराती है, क्योंकि वह अपने मनचाहे स्थान पर स्वयं जा सकती हैं, बिना किसी सहायक की आवश्यकता के। साइकिल का उपयोग भी पर्यावरण के प्रति सजगता को बढ़ावा देता है, क्योंकि यह पर्यावरण के लिए प्रिय और साफ यातायात का साधन होता है।

इस प्रकार, साइकिल ग्रामीण महिलाओं के लिए सिर्फ एक वाहन ही नहीं, बल्कि एक समाजिक, आर्थिक, और पर्यावरणीय संवर्द्धन का प्रतीक भी है।

साइकिल एक विनम्र और सेहतमंद सवारी है जिससे पूरा शरीर स्वस्थ रहता है। वह सवारी इतनी बड़ी क्रांति ला सकती है लेखक ने इसके बारे में कभी सोचा भी नहीं था।

साइकिल

साइकिल चलाने से पुडुकोट्टई की महिलाओं को ‘आजादी’ का अनुभव इसलिए होता होगा क्योंकि साइकिल पर सवार होकर वे घर की चारदीवारी से बाहर निकलती हैं और अपनी आज़ादी का अनुभव करती हैं। इससे उनके आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। साइकिल सवार इन महिलाओं के साथ कोई रोक-टोक न होने से उनकी आज़ादी सचमुच ही बढ़ जाती है।

कल्पना से

पुडुकोई में कोई महिला अगर चुनाव लड़ती तो अपना पार्टी-चिह्न साइकिल ही बनाती क्योंकि उसके द्वारा ही वहां के जीवन में बदलाव आया था।

अगर दुनिया के सभी पहिए हड़ताल कर दें तो दुनिया भर का जीवन ठहर जाएगा। लोगों के लिए सार्वजनिक परिवहन और व्यक्तिगत यातायात में बड़ी असुविधा हो सकती है। इससे सामाजिक और आर्थिक गतिविधियों पर भी असर पड़ सकता है, क्योंकि बहुत सारे व्यवसाय और सेवाएं यातायात के आधार पर काम करते हैं।

यह कथन बताता है कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के बाद, महिलाओं को अधिक सम्मान और स्वतंत्रता मिली है। उन्हें अधिकारों की समझ में वृद्धि हुई है और समाज में उनका स्थान मजबूत हुआ है। इससे समाज में एक सकारात्मक बदलाव आया है और महिलाओं के प्रति समर्थन बढ़ा है।

पुडुकोट्टई, 9 मार्च 1992, (विशेष संवाददाता द्वारा) – कल तक

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर पुडुकोट्टई जिला मुख्यालय के निकट स्थित खेल परिसर में एक अद्भुत दृश्य देखा गया। वहाँ लगभग 1500 महिलाएँ साइकिल पर सवार थीं, जब वे गुजर रहीं थीं, तो लगता था कि एक तूफान आ गया है। कल की अबला महिलाएँ अपने जज्बे को सामने लाएंगी, इस पर विश्वास करना कठिन हो रहा था। साइकिल चलाने की तैयारी को देखकर लोग अचंभित हो गए थे। उन्होंने अपनी आँखों पर विश्वास नहीं किया। इस समय महिलाओं का उत्साह देखकर सभी अचंभित और प्रेरित हो गए।

जैसे कविता में लड़की को पिता ने अपने वारिस के रूप में देखा है और उसके द्वारा लड़कों के जैसे काम करने के बारे में बताया गया है। ठीक वैसे ही समाज में मर्दों की सवारी साइकिल पर अब महिलाओं का अधिकार हो गया है। वे भी अब पुरुषों की तरह आत्मनिर्भर बन गई हैं।

भाषा की बात

उपसर्गयुक्त शब्दमूल शब्द
प्रतियोगिता योग्यता
बेशकीमती कीमती
आत्मविश्वास विश्वास
असाधारण साधारण
आत्मसम्मान सम्मान
प्रशिक्षण शिक्षण
प्रदर्शन दर्शन
अभिव्यक्त व्यक्त
स्वाधीनता अधीनता
सर्वाधिक अधिक
प्रत्यययुक्त शब्दमूल शब्द
ग्रामीण ग्राम
सामाजिक समाज
गतिशीलता गति
रूढ़िवादी रुढ़ि
महत्वपूर्ण महत्त्व
मूर्खतापूर्ण मूर्खता
पिछड़ेपन पिछड़ा
व्यक्तिगत व्यक्ति

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