NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 10 अकबरी लोटा

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NCERT Solutions for Class 8 Hindi Chapter 10 अकबरी लोटा

NCERT Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 10 अकबरी लोटा

Class 8 Hindi Chapter 10 अकबरी लोटा

कहानी की बात

उत्तर- लाला झाऊलाल को बेढंगा लोटा बिल्कुल पसंद नहीं था। फिर भी, उन्होंने चुपचाप लोटा लिया क्योंकि वे अपनी पत्नी का आदर मानते थे। उन्हें पत्नी के तेज-तर्रार स्वभाव की भी खबर थी, इसलिए उन्होंने सोचा कि अभी तो लोटे में पानी ही मिला है, यदि चूंकि कर दें, तो कहीं बाल्टी में भोजन करना पड़े।

उत्तर- दो और दो जोडकर स्थिति को समझना – अर्थात् परिस्थिति को भाँप जाना। जब लोटा गिरा और गली में शोर मचा, तो लोग आँगन में इकट्ठे हो गए। वे देखते ही रह गए जब एक अंग्रेज भीगे हुए और पैरों को सहलाते हुए नजर आया, तब लाला समझ गए कि स्थिति गंभीर है और अंग्रेज को बुरी तरह से प्रभावित किया गया है। उस समय उनकी चुप्पी ही सबसे उचित थी।

उत्तर- अंग्रेज़ के सामने बिलवासीजी ने झाऊलाल को पहचानने से इनकार कर दिया क्योंकि अंग्रेज़ का क्रोध शांत हो जाए और अंग्रेज़ को ज़रा भी संदेह न हो कि वह लाला झाऊलाल का आदमी है। यदि वह उस समय लालाजी को पहचान जाते, तो उन्हें अंग्रेज से रुपये मांगना मुश्किल हो जाता। वे चाहते थे कि अंग्रेज से रुपये ऐंठकर लालाजी को दें। तथा वह अपनी योजना पूरी करना चाहते थे जिससे पैसे की व्यवस्था हो सकें।

उत्तर- बिलवासी जी ने लाला झाऊलाल को देने के लिए रुपयों का प्रबंध अपनी पत्नी की संदूक से चोरी करके किया इसके लिए उन्होंने अपनी सोती हुई पत्नी के गले में पड़ी चेन से ताली निकाली और चुपचाप संदूक से रुपये निकाल कर उसे बंद कर दिया I लाला झाऊलाल के लिए रुपये का इंतजाम अंग्रेज के माध्यम से हो जाने पर उन्होंने वे रुपए उसी तरह वापस रख दिये और उनकी पत्नी न जान सकी I

उत्तर- अंग्रेज पुरानी चीजों का शौकीन था और उसे कोई भी पुरानी चीज मिल जाए उसे एंटीक पीस के रूप में खरीद लेता था I अंग्रेज़ ने बिलवासी के कहने पर लोटा, अकबरी लोटा समझकर 500 रूपए में खरीदा।

अनुमान और कल्पना

उत्तर- यह बात पंडित बिलवासी मिश्र ने लाला झाऊलाल से कहीलाला झाऊलाल यह जानना चाहते थे कि उनके लिए रुपयों का प्रबंध कैसे किया था, तब उन्होंने कहा कि इस भेद को मेरे सिवा ईश्वर ही जानता हैआप उसी से पूछलेना ऐसा कहकर वह पत्नी से चोरी करके उसकी संदूक से रुपये निकालने की बात नहीं कहना चाहते थे I इसके अलावा उन्हें घर पहुँचकर उन रुपयों को यथास्थान रखने की जल्दी भी थी, इसलिए ऐसा कहा I

उत्तर- बिलवासी जी को उस रात देर तक इसलिए नींद नहीं आई क्योंकि वे अपनी पत्नी के संदूक में से चुराए गए रुपये उस संदूक में रख्ना चाहते थे जिसकी चाबी उनकी पत्नी के गले में सोने की जंजीर में बॅंधी थी। वे पत्नी के सोने का इंतजार करते रहे और रात के एक बजे पत्नी के सो जाने पर उन्होनें पत्नी के गले में से चाबी निकाल कर और संदूक को खोलकर उसमें रुपये रख दिए।

उत्तर- झाऊलाल और उनकी पत्नी के बीच की इस बातचीत से निम्न बातें उजागर होती हैं –

  1. झाऊलाल की पत्नी को अपने पति झाऊलाल के वादे पर भरोसा नहीं था।
  2. उनकी पत्नी ने पहले भी कुछ माँगा होगा परन्तु उन्होंने हाँ करने के बाद भी लाकर नहीं दिया होगा।
  3. झाऊलाल कंजूस प्रवृत्ति के हैं।

क्या होता यदि

उत्तर- यदि अंग्रेज़ लोटा नहीं खरीदता तो बिलवासी जी को अपनी पत्नी से चुराए हुए रूपए लाला झाऊलाल को देने पड़ते। अन्यथा झाऊलाल अपनी पत्नी को पैसे नहीं दे पाते और अपनी पत्नी के सामने बेइज्जत होते I

उत्तर- लाला झाउलाल को हर्जाना देना पड़ता और हो सकता है कि जेल भी हो जाती।

उत्तर- जब बिलवासी जी अपनी पत्नी के से चाबी निकाल रहे होते और वह जाग जाती तो पति-पत्नी के बीच झगड़ा होता, जिसमें उनकी पत्नी भारी पड़ती I वे नाना प्रकार के प्रश्न पूछती और उनसे सब कुछ उगलवाकर ही रहती I

पता कीजिये

उत्तर- “उल्का” का अर्थ होता है वह प्रकार की रोशनी जो आकाश में कभी-कभी एक ओर से दूसरी ओर अत्यंत वेग से जाते हुए अथवा पृथ्वी पर गिरते हुए दिखाई देते हैं I साधारण बोलचाल में ‘टूटते हुए तारे’ अथवा ‘लूका’ कहते हैं।

समानता
-उल्का और ग्रह दोनों ही चमकते हैं।
-दोनो एक जैसे पदार्थों से ही बने होते हैं।

ग्रहों और उल्का के बीच कुछ मुख्य अंतर हैं-
-उल्का एक प्रकार की बिजली की चमक होती है जो आसमान में दिखाई देती है, जबकि ग्रह संवृत्त बड़े आकार के निकटवर्ती विश्व होते हैं।
-उल्का की चमक काफी तेज होती है और फिर बिना विचलित हुए ठीक ही गायब हो जाती है, जबकि ग्रहों की चमक नियमित होती है और वे आसमान में स्थिर रहते हैं।
-उल्का अकसर बादलों के बीच से होती है, जबकि ग्रह आसमान में स्थित होते हैं और वे बादलों के ऊपर नहीं होते।

उत्तर- छात्र स्वयं कहानी बनाएँ।

उत्तर- बिलवासी जी ने जिस तरह से रुपयों का प्रबंध किया वह अनुचित था।

भाषा की बात

उत्तर- कहानी में आये कुछ रोचक वे निम्न हैं:

-अजी इसी सप्ताह में ले लेना। सप्ताह से आपका तात्पर्य सात दिन से है या सात वर्ष से?
-अब तक बिलवासी जी को वे अपनी आँखो से खा चुके होते।
-उल्का को लजाता हुआ वह आँखों से ओझल हो गया।

-लाला को काटो तो बदन में खून नहीं।
-ढ़ाई सौ रूपए तो एक साथ आँख सेंकने के लिए भी न मिलते हैं।
-मेरी समझ में ‘ही इज ए डेंजरस ल्यूनाटिक’ यानी, यह खतरनाक पागल है।

बाप डमरू माँ चिलम: बेढंगा आकार
वाक्य– उस वृक्ष का टोपी सब को माँ चिलम की तरह लगता था।

डींगें हांकना: लम्बी चैड़ी खोखली बातें करना
वाक्य– सुनीता के बोलने से लगता है कि वह बस डींगें हांक रही है।

आँख सेंकने के लिए भी न मिलना: दुर्लभ होना
हस्तकला से बनी वस्तुएँ तो आजकल आँख सेंकने के लिए भी नहीं मिलती हैं।

आँखों से खा जाना: क्रोधित होना
वाक्य– वह अपने सहपाठियों की छोटी सी गलती पर आँखों से खा जाने लगा।

चैन की नींद सोना: आराम से सोना
वाक्य– उसे रात को चैन की नींद सोने मिली।

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