Latest Updated : February 2024
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NCERT Solutions for Class 8 Hindi Chapter 8 सुदामा चरित
Class 8 Hindi Chapter 8 सुदामा चरित
प्रश्न-अभ्यास
कविता से
1. सुदामा की दीनदशा देखकर श्रीकृष्ण की क्या मनोदशा हुई? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर- सुदामा की दीन-दशा को देखकर श्री कृष्ण अत्यधिक विचलित हो गए। दुख के कारण श्री कृष्ण की आँखों से अश्रुधारा बहने लगी। उन्होंने सुदामा के पैरों को धोने के लिए पानी मँगवाया। परन्तु उनकी आँखों से इतने आँसू निकले की उन्ही आँसुओं से सुदामा के पैर धुल गए।उन्होंने सुदामा से कहा कि तुम इतने कष्ट में रहे और मुझे बताया भी नहीं।
2. पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सों पग धोए। पंक्ति में वर्णित भाव का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर- पंक्ति का भाव यह है कि श्रीकृष्ण की दीन-दशा को देखकर इतने व्याकुल हो गए कि अपनी सुध-बुध ही खो बैठे और सुदामा के आगमन पर उनके पैरों को धोने के लिए परात में पानी मँगवाया परन्तु सुदामा की दुर्दशा देखकर श्रीकृष्ण को इतना कष्ट हुआ कि वे स्वयं रो पड़े और उनके आँसुओं से ही सुदामा के पैर धुल गए। अर्थात् परात में लाया गया जल व्यर्थ हो गया।
3. चोरी की बान में हौ जू प्रवीने।
(क) उपर्युक्त पंक्ति कौन, किससे कह रहा है?
(ख) इस कथन की पृष्ठभूमि स्पष्ट कीजिए।
(ग) इस उपालंभ शिकायत के पीछे कौन-सी पौराणिक कथा है?
उत्तर- (क) उपर्युक्त पंक्ति में श्रीकृष्ण अपने मित्र सुदामा को उलाहना दे रहे हैं।
(ख) सुदामा की पत्नि ने उन्हे अपने मित्र को देने के लिए कुछ चावल दिए थे, मगर वे संकोच वश उसे श्रीकृष्ण को दे नहीं पा रहे थे। इसीलिए वे उसे अपनी काँख के नीचे छिपा रहे थे। इसी पर श्रीकृष्ण ने उनसे कहा कि तुम चारी करने में तो बचपन से निपुण हो इसीलिए मेरी भाभी के द्वारा दी गई भेंट मुझे नहीं दे रहे हो।
(ग) बचपन में जब कृष्ण और सुदामा साथ-साथ संदीपन ऋषि के आश्रम में अपनी-अपनी शिक्षा ग्रहण कर रहे थे। तभी एकबार जब श्रीकृष्ण और सुदामा जंगल में लकड़ियाँ एकत्र करने जा रहे थे तब गुरूमाता ने उन्हें रास्ते में खाने के लिए चने दिए थे। सुदामा श्रीकृष्ण को बिना बताए चोरी से चने खा लेते हैं। श्रीकृष्ण उसी चोरी का उपालंभ सुदामा को देते हैं।
4. द्वारका से खाली हाथ लौटते समय सुदामा मार्ग में क्या-क्या सोचते जा रहे थे? वह कृष्ण के व्यवहार से क्यों खीझ रहे थे? सुदामा के मन की दुविधा को अपने शब्दों में प्रकट कीजिए।
उत्तर- जब सुदामा द्वारका से खाली हाथ लौट रहे थे, तो उनका मन व्याकुल था। उन्होंने कृष्ण द्वारा किए गए सम्मान का विचार किया। वे सोच रहे थे कि कृष्ण ने जो आदर सत्कार दिया और रोकर मित्रता का जो अभिनय किया, वह केवल दिखावा ही था I सुदामा को कृष्ण के व्यवहार से संतुष्ट नहीं था। वह विश्वास करते थे कि कृष्ण उनकी दरिद्रता को दूर करने के लिए उन्हें धन-दौलत देगे। लेकिन कृष्ण ने उन्हें खाली हाथ भेज दिया। यह उन्हें बहुत ही चौंकाने वाला लगा। उन्हें अपने पत्नी पर भी क्रोध आ रहा था कि मेरे मना करने पर भी उसने मुझे कृष्ण के पास भेजा जो थोड़े से चावल थे वे भी कृष्ण ने ले लिए।
5. अपने गाँव लौटकर जब सुदामा अपनी झोंपड़ी नहीं खोज पाए तब उनके मन में क्या-क्या विचार आए? कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- द्वारका से लौटकर जब वे अपने गाँव पहुँचे तो वे चकरा गए। उन्हें भ्रम हुआ कि कहीं वे फिर से द्वारका तो नहीं आ गए और सभी लोगों से अपनी झोंपड़ी के बारे में पूछते घूम रहे थे।
6. निर्धनता के बाद मिलने वाली संपन्नता का चित्रण कविता की अंतिम पंक्तियों में वर्णित है। उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर- निर्धनता के बाद श्रीकृष्ण से अपार संपत्ति मिलने के बाद उनकी स्थिति ही बदल गई। कहाँ पैरों में पहनने के लिए चप्पल तक नहीं थी वहीं जमीन पर अब पैर नहीं पड़ रहे थे। जहाँ सुदामा की टूटी-फूटी सी झोपड़ी रहा करती थी, वहाँ अब सोने का महल खड़ा है। कहाँ जमीन पर सोते थे अब सोने के लिए मखमल के गद्दे थे। अब उनको उस पर भी नींद नहीं आ रही थी। पकवान भी अच्छे नहीं लग रहे थे।
कविता से आगे
1. द्रुपद और द्रोणाचार्य भी सहपाठी थे, इनकी मित्रता और शत्रुता की कथा महाभारत से खोजकर सुदामा के कथानक से तुलना कीजिए।
उत्तर- द्रुपद और द्रोणाचार्य का रिश्ता गुरुकुल के दिनों से था। उन्होंने एक-दूसरे के साथ पढ़ाई की और एक-दूसरे के साथ सहपाठी बने और उन्होंने अपने निर्धन मित्र द्रोण से राजा बनने पर अपनी आधी गाएं देने का वचन दिया था, मगर राजा बनने पर वे ये सब भूल गए और उनका अपमान भी किया।
द्रोण ने पांडवों तथा कौरवों को धनुर्विद्या सिखानी शुरू कीउन्होंने अर्जुन से गुरु-दक्षिणा में द्रुपद को बंदी बनाकर लाने को कहाअर्जुन ने ऐसा ही कियाद्रोण ने उनके द्वारा किए गए अपमान की याद दिलाते हुए द्रुपद को मुक्त तो कर दिया पर अपमानित द्रुपद द्रोण की जान के प्यासे बन गएद्रुपद स्वयं यह काम नहीं कर सकते थेउन्होंने तपस्या करके एक वीर पुत्र तथा एक पुत्री की कामना कीद्रुपद की इसी पुत्री द्रौपदी का विवाह अर्जुन के साथ हुआ जिन्होंने महाभारत के युद्ध में द्रोण का वध किया।
सुदामा कथानक से तुलना – कृष्ण और सुदामा की मित्रता सच्चे अर्थों में आदर्श थी वहीं द्रोण तथा द्रुपद की मित्रता एकदम ही इसके विपरीत थी I कृष्ण ने सुदामा की परोक्ष मदद करके अपने जैसा ही बना दिया, वहीं द्रुपद और द्रोण ने मित्रता को कलंकित किया I वहीं दूसरी ओर श्रीकृष्ण अपने मित्र की दयनीय दशा को देखकर अत्यंत दुखी हुए। श्रीकृष्ण ने सुदामा की सहायता करके उसकी जिन्दगी ही बदल दी थी।
2. उच्च पद पर पहुँचकर या अधिक समृद्ध होकर व्यक्ति अपने निर्धन माता-पिता, भाई-बंधुओं से नजर फेरने लग जाता है, ऐसे लोगों के लिए सुदामा चरित कैसी चुनौती खड़ी करता है? लिखिए।
उत्तर- जब कोई व्यक्ति समृद्ध हो जाता है या ऊँचे पद पर पहुँचता है, तो वह अक्सर अपने पुराने दोस्तों और परिवार से दूरी बना लेता है। इसमें सुदामा की कथा सबक सिखाती है। यह बताती है कि हमें अपने दोस्तों और परिवार से जुड़े रहना चाहिए। हम कितने भी बड़े क्यों न हो जाएं हमें घमंड नहीं करना चाहिए और अपनों का आदर करना चाहिए। ऐसे समय में, हमें धन और पद के महत्व को भूल जाना चाहिए, और हमेशा अपने संबंधियों का साथ देना चाहिए।
अनुमान और कल्पना
1. अनुमान कीजिए यदि आपका कोई अभिन्न मित्र आपसे बहुत वर्षों बाद मिलने आए तो आप को कैसा अनुभव होगा?
उत्तर- अगर मेरा कोई अभिन्न मित्र बहुत वर्षों बाद मिलने आए, तो मुझे उत्साह और खुशी महसूस होगी। मिलने के समय में, मैं उनके साथ बीते पलों को याद करूँगा और उनसे उनके जीवन के बारे में सुनने का अवसर पाऊंगा। हम एक-दूसरे के साथ अपने अनुभवों और खुशियों को साझा करेंगे, जिससे हमारा बंधन और मजबूत होगा। यह मिलना मेरे लिए एक अद्भुत और यादगार अनुभव होगा।
2. कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीति।
विपति कसौटी जे कसे तेई साँचे मीत।।
इस दोहे में रहीम ने सच्चे मित्र की पहचान बताई है। इस दोहे से सुदामा चरित की समानता किस प्रकार दिखती है? लिखिए।
उत्तर- रहीम के दोहे में, वह समझाते हैं कि सच्चे मित्र का मूल्य तभी पता चलता है जब विपत्ति का समय आता है। सच्चा मित्र विपत्ति के समय में आपके साथ होता है और आपका साथ देता है, जबकि नकली मित्र आपको अकेले छोड़ देता है। इसी तरह, सुदामा चरित में भी सुदामा के सच्चे मित्र कृष्ण ने उनका साथ दिया और उन्हें उनकी गरीबी के बावजूद स्वीकार किया। इस रूप में, रहीम के दोहे और सुदामा चरित में समानता है, जो सच्चे मित्रता और साथीता के महत्व को प्रकट करती है।
भाषा की बात
1. “पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सो पग धोए”
ऊपर लिखी गई पंक्ति को ध्यान से पढि़ए। इसमें बात को बहुत अधिक बढ़ा-चढ़ाकर चित्रित किया गया है। जब किसी बात को इतना बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया जाता है तो वहाँ पर अतिशयोक्ति अलंकार होता है। आप भी कविता में से एक अतिशयोक्ति अलंकार का उदाहरण छाँटिए।
उत्तर- निम्न पंक्ति में अतिश्योक्ति अलंकार है:
कै वह टूटी-सी छानी हती, कहँ कंचन के अब धाम सुहावत।
यहाँ सुदामा के कृष्ण से मिलन के पूर्व के घर जो एक टूटी-फूटी झोपडी थी तथा मिलन के बाद के स्वर्ण महल का वर्णन है। महल स्वर्ण से निर्मित नहीं होते हैं। इसलिए कह सकते हैं कि अतिश्योक्ति अलंकार का प्रयोग किया गया है।
Summary
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