Latest Updated : February 2024
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NCERT Solutions for Class 8 Hindi Chapter 7 कबीर की साखियाँ
Class 8 Hindi Chapter 7 कबीर की साखियाँ
प्रश्न-अभ्यास
पाठ से
1. ‘तलवार का महत्त्व होता है म्यान का नहीं।‘ उक्त उदाहरण से कबीर क्या कहना चाहते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- इस पद में कबीरदास जी तलवार और म्यान की तुलना मनुष्य की आत्मा और शरीर से करते हैं। लोग शरीर की शुद्धि और सुन्दरता पर ज्यादा ध्यान देते हैं लेकिन उसके अन्दर की आत्मा को न जानते हैं और न ही उसकी शुद्धता का ध्यान रखते हैं। इसलिए कबीरजी ने कहा, ‘तलवार का महत्त्व होता है म्यान का नहीं।‘ शाब्दिक रूप से कबीरदासजी यह कहना चाहते हैं कि जिस प्रकार तलवार काटने का काम करती है उसकी म्यान नहीं। ठीक उसी प्रकार हमारे अन्दर की आत्मा यदि शुद्ध है तो हम ठीक हैं। यदि केवल शरीर को ही म्यान की तरह सुन्दर बना लें और तलवार बिना धार वाली और आत्मा शुद्ध न हो तो सब कुछ बेकार है।
2. पाठ की तीसरी साखी-जिसकी एक पंक्ति है ‘मनुवाँ तो दहुँ दिसि फिरै, यह तो सुमिरन नाहिं’ के द्वारा कबीर क्या कहना चाहते हैं?
उत्तर- पाठ की तीसरी साखी में कबीरदास जी उन व्यक्तियों के बारे में बात कर रहे हैं जो धार्मिकता का ढोंग रचता है, लेकिन असल में उसमें आत्म-समर्पण और सच्ची भक्ति की कमी होती है। वह धार्मिक अदान-प्रदान का धोखा देता है लेकिन अपने आप को धार्मिक बताने के लिए समर्थ नहीं होता। कबीरदास जी इससे यह बताना चाहते हैं कि असली धार्मिकता उसे होती है जो मनुष्य के अंदर वास्तविक बदलाव लाती है, जो अंतरंग रूप से स्वार्थ और अहंकार को हरती है।
3. कबीर घास की निंदा करने से क्यों मना करते हैं। पढ़े हुए दोहे के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- कबीरदास जी घास की निंदा करने से मना करते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि घास को निंदा करने से उसका भी अपमान होता है और यह मानवीय दृष्टि के खिलाफ है। जिस प्रकार पैरों में पड़ा तिनका कभी भी उड़कर हमारी आँखों में गिरकर हमें पीड़ा पहुँचा सकता है। ठीक उसी प्रकार किसी छोटे व्यक्ति की भी निंदा नहीं करनी चाहिए, नहीं तो वह कभी भी हमारा अपमान कर सकता है। उनके दोहे में उन्होंने इस बात को समझाने की कोशिश की है कि हर जीव महत्वपूर्ण है और हर जीव को सम्मान और सहारा देना चाहिए।
4. मनुष्य के व्यवहार में ही दूसरों को विरोधी बना लेने वाले दोष होते हैं। यह भावार्थ किस दोहे से व्यक्त होता है?
उत्तर- मनुष्य के व्यवहार में ही दूसरों को विरोधी बना लेने वाले दोष होते हैं। यह भावार्थ निम्न दोहे से व्यक्त होता है –
“जग में बैरी कोई नहीं, जो मन सीतल होय।
या आपा को डारि दे, दया करै सब कोय।।”
पाठ से आगे
1. “या आपा को डारि दे, दया करै सब कोय।“
“ऐसी बानी बोलिए, मन का आपा खोय।‘‘
इन दोनों पंक्तियों में ‘आपा’ को छोड़ देने या खो देने की बात की गई है। ‘आपा’ किस अर्थ में प्रयुक्त हुआ है? क्या ‘आपा’ स्वार्थ के निकट का अर्थ देता है या घमंड का?
उत्तर- इन दो पंक्तियों में ‘आपा’ को छोड़ देने की बात की गई है। यहाँ ‘आपा’ अंहकार के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है। ‘आपा’ घमंड का अर्थ देता है। घमंड के मिट जाने से आदमी दयावान बन जाता है और मीठी बोली बोलने लगता है।
2. आपके विचार में आपा और आत्मविश्वास में तथा आपा और उत्साह में क्या कोई अंतर हो सकता है? स्पष्ट करें।
उत्तर- आपा का मतलब होता है व्यक्ति का अपना स्वाभिमान और सकारात्मकता, जबकि आत्मविश्वास मतलब होता है व्यक्ति का अपनी क्षमताओं और स्वाभाविक योग्यताओं पर विश्वास। दूसरी ओर आपा और उत्साह का अंतर यह है कि अहंकार के वशीभूत मनुष्य की एक धारणा रहती है कि यह कार्य मैंने किया या यह कार्य केवल मैं कर सकता हूँ। मैं नहीं होता तो यह कार्य नहीं हो सकता था। उत्साह एक सच्चे मन से कार्य के प्रति लग्न को दिखता है। उत्साही मनुष्य हमेशा सफलता प्राप्त करता है और दूसरे लोग भी उसका सहयोग एवं उत्साहवर्धन करते हैं।
3. सभी मनुष्य एक ही प्रकार से देखते-सुनते हैं पर एक समान विचार नहीं रखते। सभी अपनी-अपनी मनोवृत्तियों के अनुसार कार्य करते हैं। पाठ में आई कबीर की किस साखी से उपर्युक्त पंक्तियों के भाव मिलते हैं, एक समान होने के लिए आवश्यक क्या है? लिखिए।
उत्तर- सभी मनुष्य एक ही प्रकार से देखते-सुनते हैं पर एक समान विचार नहीं रखते। सभी अपनी-अपनी मनोवृत्तियों के अनुसार कार्य करते हैं। यह विचार कबीरदासजी की निम्न साखी से प्रकट होते हैं।
आवत गारी एक है, उलटत होइ अनेक।
कह कबीर नहिं उलटिए, वही एक की एक।।
एक समान होने के लिए सबके विचार और भाव मिलने चाहिए।
4. कबीर के दोहों को साखी क्यों कहा जाता है? ज्ञात कीजिए।
उत्तर- कबीर के दोहों को साखी इसलिए कहा जाता है क्योंकि इनमें श्रोता को गवाह बनाकर साक्षात् ज्ञान दिया गया है। कबीर समाज में फैली कुरीतियों, जातीय भावनाओं, और बाह्य आडंबरों को इस ज्ञान द्वारा समाप्त करना चाहते थे।
भाषा की बात
1. बोलचाल की क्षेत्रीय विशेषताओं के कारण शब्दों के उच्चारण में परिवर्तन होता है जैसे वाणी शब्द बानी बन जाता है। मन से मनवा, मनुवा आदि हो जाता है। उच्चारण के परिवर्तन से वर्तनी भी बदल जाती है। नीचे कुछ शब्द दिए जा रहे हैं उनका वह रूप लिखिए जिससे आपका परिचय हो।
ग्यान, जीभि, पाऊँ, तलि, आँखि, बरी।
उत्तर-
ग्यान – ज्ञान
जीभि – जीभ
पाऊँ – पाँव
तलि – तल
आँखि – आँख
बरी – बरी
Summary
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